Monday, May 31, 2010

हम भी है जोश में

जिम्बाम्बे की कमजोर टीम से हारने वाली युवा टीम इंडिया ने अपने अगले मैच में श्रीलंका जैसी मजबूत टीम को हराकर यह साबित कर दिया है की सुरेश रैना की ये युवा बिग्रेड किसी से कम नहीं है! श्रीलंका के खिलाफ अपना अगला मैच खेलने उतरी टीम इंडिया के युवा खिलाडियों ने २४३ रनों का लक्ष्य तीन विकेट खोकर ही प्राप्त कर लिया! रोहित शर्मा ने इस मैच में अपने एकदिवसीय करियर का दूसरा शतक १०१ बनाते हुए भारत को आसान जीत के करीब पहुचाया साथ ही साथ विराट कोहली की ८२ रनों की पारी भी श्रीलंका पर भारी पड़ी!सुरेश रैना की युवा बिग्रेड के सामने श्रीलंका हर समय संघर्ष करता नजर आया!इस जीत के साथ ही यह भी तय हो गया है की टीम इंडिया की यह युवा टीम हर टीम को हराने में सक्षम नजर आ रही है, आखिर युवाओं ने अपना जोश दिखा ही दिया!

Saturday, May 29, 2010

एक और हार

जिम्बाम्बे में खेली जा रही तीन देशो की एकदिवसीय श्रृंखला में भारत को एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा! सुरेश रैना के नेतृत्व में टीम इंडिया की युवा बिग्रेड जिम्बाम्बे की नोसिखिया टीम से क्रिकेट के हर क्षेत्र में पीछे नजर आई! युवा बिग्रेड ने हालांकि २८५ रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया लेकिन जिम्बाम्बे के विकेटकीपर बल्लेबाज ब्रेंडन टेलर की ८१ रनों की पारी और अपना पहला एकदिवसीय मैच खेल रहे क्रेग इरविन के द्वारा बनाये गए ६१ की बदोलत जिम्बाम्बे ने यह मैच दस गेंद शेष रहते जीत लिया! जिम्बाम्बे ने इस मैच में जीत हासिल करते हुए भारत के खिलाफ ५०वे एकदिवसीय मैच में ९वी जीत आठ साल के लम्बे अंतराल के बाद हासिल की,उसने भारत के खिलाफ अंतिम मैच २००२ में जीता था इस हार ने टीम इंडिया की युवा बिग्रेड को ये सोचने पर मजबूर कर दिया है की ये तो शुरुआत है और आगे श्रीलंका जैसी आग है!

Thursday, May 13, 2010

शतरंज के मोहरों ने लिखी आनंद की दांस्ता

शतरंज की दुनिया में कई खिताब अपने नाम कर चुके विश्व चैम्पियन विश्वनाथन आनंद ने अपने नाम के अनुरूप खेल का प्रदर्शन करते हुए भारत को शतरंज का बादशाह बनाने में अहम् योगदान ही नहीं दिया है बल्कि वो शतरंज की हर कसोटी पर चेक पे चेक लगा कर विपक्षी को मात देते नजर आये है! ४ बार के विश्व विजेता आनंद सबसे कम उम्र के विश्व विजेता बनने गोरव भी हासिल कर चुके है, विश्व शतरंज प्रतियोगिता २०१० में बुल्गारिया के वेसलिन टोपालोव को हराकर विजेता बने आनंद शतरंज में आनंद की नई दास्ताँ लिखते हुए नजर आ रहे है!शतरंज के मोहरों के बीच आनंद बहुत ही गंभीर न होकर आनंद के साथ हर मुकाबले को अंजाम देते है उनके द्वारा बिछाई गई यह विसात हर खिलाड़ी को नजरअंदाज कर देती है लेकिन आनंद बस आनंद के साथ सब कुछ कर देते है, आखिर ये हमारे भारत के आनंद है!

बोक्सिंग का मिनी क्यूबा- भिवानी

बीजिंग ओलंपिक में मुक्केबाजी की दहशत की शुरुआत और विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता में उस दहशत से सबको हैरान कर देने वाले विजेंद्र सिंह ने भिवानी को पूरी दुनिया में अपनी मुक्केबाजी की वजह से पहचान दिलाई है शायद यही वजह है की दुनिया अब भिवानी को मुक्केबाजी का मिनी क्यूबा के नाम से पुकार रही है! भिवानी के कालूबास गाँव के रहने वाले विजेंद्र सिंह मुक्केबाजी में भारत का नाम पूरी दुनिया में चमका रहे है, बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक से शुरू हुआ उनका सफ़र विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक तक जा पहुंचा, जहां उन्होंने क्यूबा के मुक्केबाजों पर भारतीय मुक्केबाजी की छाप छोड़ दी थी! अपनी मुक्केबाजी से पूरी दुनिया को मदहोश कर देने वाले विजेंद्र ने मुक्केबाजी को नए आयाम देने का साहस किया वही मुक्केबाजी प्रसंसको ने उन्हें नया आदर्श मान लिया है, फिलहाल वो विश्व मुक्केबाजी में शीर्ष पर जमे हुए है! विजेंद्र जितने अपने मुक्कों के पंच के लिए जाने जाते है उतने ही आकर्षक वो शारीरिक रूप से भी है! लेक्मे इंडिया फैशन वीक में रेम्प पर भी वो सबको मदहोश कर चुके है, भिवानी की शान में विजेंद्र के साथ अब एक नाम और जुड़ गया है और वो है विश्व युवा जूनियर चैम्पियन -विकाश यादव! भिवानी के ही विकाश यादव बेडमिन्टन की दुनिया में अपने देश के नाम रोशन करना चाहते थे लेकिन किस्मत के खेल निराले है जो चाहा वो हो न सका! बेडमिन्टन की जगह अब मुक्कों ने ले ली थी
विकाश ने पुणे की स्पोर्ट्स अकादमी को अपने सपने को पूरा करने के लिए चुना और अपने पंच के लिए पहचाने जाने लगा! सफ़र की शुरुआत एशियाई युवा चैम्पियन बनने के साथ हुई! मुक्केबाजी का सफ़र अब उनका विकाश करने लगा और धीरे -धीरे वो मुक्केबाजी में पहचाने जाने लगे! उनके इस सफ़र को आगे बढाया कोच गणपति मनोहरन ने, जो उन्हें इसी वर्ष अजरबेजान की राजधानी बाकू में आयोजित विश्व युवा जूनियर मुक्केबाजी प्रतियोगिता में अपने साथ लेकर गए! विकाश ने प्रतियोगिता के शुरूआती मुकाबले आसानी से जीत कर बाकू में भारत का डंका बजा दिया था लेकिन उनकी सेमी-फाइनल की डगर कठिन साबित हुई यहाँ उनका सामना जर्मनी के थामस बाह्रेन्होल्ट से होने वाला था जो मुक्केबाजी में जर्मनी को कई खिताब दिला चुके थे लेकिन विकाश ने अपने कोच की आशा को हकीकत में बदल कर मुकाबला ८ -० के विशाल अंतर से जीत कर फाइनल में प्रवेश किया और फिर फाइनल भी जीत कर दुनिया के युवा मुक्केबाज बनने का गोरव हासिल किया यक़ीनन पहले विजेंद्र और अब विकश ने दुनिया में भारतीय मुक्केबाजी को नई पहचान दी है,अगर भिवानी ऐसे ही मुक्केबाजों को जन्म देता रहा तो शायद वह क्यूबा को भी पीछे छोड़ देगा और भारतीय मुक्केबाजी की गूंज सारी दुनिया में सुनाई देगी!



संजय शर्मा
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता
एवं जनसंचार विश्वविद्यालय,भोपाल

Tuesday, May 11, 2010

हॉकी का बढ़ता ग्राफ

मलेशिया के इपोह में खेले जा रहे अजलान शाह हॉकी टूर्नामेंट में भारत ने पाक, दक्षिण कोरिया और अब विश्व चैम्पियन ऑस्ट्रेलिया को मात देकर अंक तालिका में शीर्ष स्थान प्राप्त कर लिया है, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए मैच में तुषार खांडेकर, शिवेंद्र सिंह, अर्जुन हलप्पा के द्वारा किये गए ताबड़तोड़ गोलों की मदद से भारत एक समय ३-० से आगे नजर आ रहा था लेकिन विश्व चैम्पियन ने अच्छा खेल दिखाते हुए मैच में वापसी की कुछ उम्मीद जरूर लगाई लेकिन मैन ऑफ दी मैच तुषार खांडेकर के दो गोल मैच में चैम्पियन को चित करने में उपयोगी साबित हुए! भारत ने ऑस्ट्रेलिया को इस मैच में हराकर सात सालों से चला आ रहा जीत का अकाल भी दूर किया यक़ीनन यह भारतीय हॉकी का बढ़ता हुआ ग्राफ नजर आ रहा है

Monday, May 10, 2010

धोनी के बाद अब झूलन से आस

वेस्टइंडीज से हार के बाद सुपर-८ की दौड़ से बाहर हो चुकी धोनी की टीम हार के कारण को खोजने का प्रयास कर रही है, वही झूलन गोस्वामी की अगुवाई में महिला क्रिकेट टीम वेस्टइंडीज में चल रहे महिला विश्व कप में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है!पहले मैच में न्यूज़ीलैण्ड से हार के बाद महिला टीम ने पाक को को हराकर विश्व कप में धमाका कर दिया है, इस मैच में पूनम राउत ओर मिताली राज के ऑलराउंड प्रदर्शन ने भारत को विश्व कप स्पर्धा के अगले दौर में पहुचाने में अहम् भूमिका निभाई है, महिलाओं के द्वारा किया जा रहा अच्छा प्रदर्शन धोनी बिग्रेड को नसीहत देता है की प्रदर्शन में निरंतरता लाओ, जीत की आस जगाओ

Saturday, May 8, 2010

क्रिकेट में हारे, हॉकी में बाजी मारे

२०-२० विश्व कप के सुपर-८ में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ताश के पत्तो की तरह बिखर कर भारत भले ही हार गया हो लेकिन रोहित शर्मा के द्वारा खेली गयी ७९ रनों की पारी इस मैच में भारत के जख्मो पर मरहम का काम कर गयी! यह पारी उन्होंने उस समय खेली जब भारत ४९ रनों पर ६ विकेट गवां चूका था क्रिकेट में मिली इस हार से खेल प्रेमी थोड़े मायूस जरूर हुए लेकिन हॉकी में मिली जीत शायद उनके लिए तोहफा बन गयी!मलेशिया में खेले जा रहे अजलान शाह टूर्नामेंट में भारत ने अपने चिर प्रतिद्वंदी पाक को ४-२ से हरा कर हॉकी की चमक को बरकरार रखते हुए अपने प्रदर्शन में निरंतरता लाने का प्रयास कुछ हद तक किया है! पाक के खिलाफ मिली इस जीत ने यक़ीनन यह कहने का प्रयास किया है की भारतीय हॉकी का स्वर्ण युग एक बार फिर लौट के आएगा और फिर वही धुन होगी-जय हो,जय हो

Tuesday, May 4, 2010

कठिन डगर धोनी फिर भी निडर

वेस्ट इंडीज में खेले जा रहे तीसरे २० -२० विश्व कप में भारत ने अफगानिस्तान और साउथ अफ्रीका को हराकर दुसरे दौर में प्रवेश भले ही कर लिया हो, लेकिन अगले दौर में उनका मुकाबला २००९ की विजेता पाकिस्तान और विश्व चैम्पियन आस्ट्रेलिया से होगा जहा भारत की जीत की राह आसान नहीं होगी! इस कठिन राह पर भी माह़ी के नाम से जाने वाले धोनी निडर लग रहे है, वजह है रैना की आतिशी बल्लेबाजी जिसके लिए वो जाने जाते है !साउथ अफ्रीका के खिलाफ ६० गेंदों में १०१ रन मारकर भारत को जीत दिलाने वाले रैना भारत के पहले और दुनिया के तीसरे २० -२० शतकधारी बन गए है इससे पहले इस कारनामे को वेस्ट इंडीज के क्रिस गेल, न्यूज़ीलैंड के मेकुल्लम अंजाम दे चुके है! क्रिकेट प्रेमी और टीम इंडिया को सुरेश रैना से बस एक ही आस है..बरसो रे रैना रैना ,बरसो रे रैना बरसो